Chaitra Navratri 2024 Mantra
Chaitra Navratri 2024 Mantra: नवरात्री का हम सभी को बहुत उत्साह से इंतज़ार रहता है, यह हिन्दुओ का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्र के इन नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है।
नवरात्री साल में चार बार आती है- माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन। आज नवरात्री का चौथा दिन है, इस दिन माँ दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा होती है। नवरात्री में हम सभी माता को प्रसन्न करने के लिए अलग अलग तरह के भोग लगाते है लेकिन इस दिन माता को मालपुआ का भोग लगाए, उन्हें यह अतिप्रिय है साथ ही इस दिन नाशपाती के फल का भी भोग लगता है। अपने अंदर से ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने वाली माँ कुष्मांडा की आराधना करने वाले भक्तो के सभी रोग और कष्ट मिट जाते है तथा उन्हें आयु, यश और बल का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
Chaitra Navratri 2024 Mantra – नवरात्री में माँ के अलग अलग स्वरूपों की पूजा तो हम करते ही है लेकिन इस दिन हमे अलग अलग मंत्रो का जाप भी करना चाहिए ताकि माँ हमसे अत्यंत प्रसन्न हो सके। तो आइये हम कुछ इसी प्रकार के मंत्रो के बारे में जानते है –
नौ स्वरूपों के नौ मंत्रों का जाप
- 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्री शुरू हो चुके है, इनमे पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना की जाती है। इस दिन गाय का घी भोग में लगाना चाहिए और साथ ही अनार के फल का भी भोग लगता है। अथवा इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से माँ अत्यंत प्रसन्न होती है।
इस दिन मां के इस रूप के मंत्र ‘ॐ शैलपुत्र्यै नमः.’ का जाप अवश्य करे। - नवरात्री के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन शक्कर का और सेब के फल का भोग लगाने से माँ अत्यंत प्रसन्न होती है। साथ ही इस दिन देवीभागवत के तृतीय स्कन्ध से चतुर्थ स्कन्ध के अष्टम अध्याय का पाठ अवशय करे, इससे माँ ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद सदा आप पर बना रहेगा।
- तीसरे दिन माँ दुर्गा के चन्द्रघंटा स्वरूप को पूजा जाता है। इनके सर पर घंटे के आकार का चन्द्रमा है, इसलिए इन्हे माँ चन्द्रघंटा कहा जाता है। इनके दसो हाथो में अस्त्र-शस्त्र है और नवरात्री का यह तीसरा दिन डर से मुक्ति और सहस प्राप्त करने का होता है। इस दिन दूध मिठाई का और केले के फल का भोग लगता है। इस दिन यह मंत्र ‘ॐ चंद्रघण्टायै नमः’ का जाप किया जाता है।
- चौथे दिन माँ दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की आराधना की जाती है। इस दिन माँ को मालपुआ का और नाशपाती के फल का भोग लगता है। इस दिन मां के इस स्वरूप का मंत्र है, ‘ॐ कूष्माण्डायै नमः और साथ ही पंचम स्कन्ध के 19वें अध्याय से आरंभ करते हुए छठवें स्कन्ध के 18वें अध्याय का पाठ करने से माँ बेहद खुश होती है।
- 5वें दिन मां स्कन्दमाता की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन माता को केले का और अंगूर का भोग लगाए। इस दिन मां भगवती की आरती करने के बाद मां का ध्यान और इस मंत्र ‘ॐ स्कन्दमात्रै नमः का जाप करना चाहिए।
- नवरात्रि के छठवें दिन में कात्यायनी माँ की आराधना की जाती है। छठवें दिन माता को शहद और अमरुद के फल का भोग लगाए। साथ ही इस दिन देवी भागवत के 7वें स्कन्ध के 19वें अध्याय से शुरू करते हुए 8वें स्कन्ध के 17वें अध्याय तक का पाठ करे एवं मां के इस स्वरूप का मंत्र ‘ॐ कात्यायन्यै नमः’ का जाप करने से माँ बेहद प्रसन्न होती है।
- सातवें दिन माता दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा होती है। कालरात्रि माता को गुड़ का और चीकू के फल का भोग लगाने से माँ बेहद संतुष्ट होती है। इस दिन ‘ॐ कालरात्र्यै नमः’ के मंत्र का जाप करने से माँ अपनी असीम कृपा अपने भक्तो पर बनाये रखती है।
- नवरात्रि के आठवें दिन दुर्गा मां के महागौरी स्वरूप की आराधना की जाती है। इस दिन माता को नारियल का और शरीफा का भोग लगता है। माता के इस स्वरुप का मंत्र ‘ॐ महागौर्ये नम:’ का जाप अवशय करे और सुख, शांति, एवं समृद्धी पाएं।
- नवरात्रि के नौवे दिन माता दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की आराधना की जाती है। माता के इस स्वरुप को तिल और संतरे के फल का भोग अवशय लगाए। इस अंतिम दिन में देवी भागवत के 11वें स्कन्ध के प्रथम अध्याय से शुरू करते हुए 12वें स्कन्ध के आख़री तक पाठ व इनके इस मंत्र ‘ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः’ का जाप जरूर करे। एवं पाठ के समाप्त होने के बाद हवन अवश्य करे।
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