श्रीकांत प्रसाद की Delhi High Court से गुहार, अरविंद केजरीवाल को VC के जरिए बातचीत करने की दी जाए परमिशन
वकील श्रीकांत प्रसाद ने हाल ही में Delhi High Court में एक याचिका दायर की है जिसमे मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal के सम्बन्ध में कुछ मांगे की गयी है। इसमें कहा गया है की अरविंद केजरीवाल को अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बातचीत करने की अनुमति प्रदान की जाए और यह भी मांग की गई है की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जेल से सरकार चलाने की आज्ञा दी जाए। इसके अलावा याचिका में कई अन्य मांगें भी वकील श्रीकांत ने इस पीआईएल में दर्ज की है।
जैसा की आपको पता है ED ने Arvind Kejriwal को 21 मार्च को अरेस्ट किया था, जिसके सम्बन्ध में इसमें दर्ज किया गया है की हमारे देश का कानून ऐसा कोई भी प्रतिबन्ध नहीं लगाता है की किसी भी प्रधानमंत्री या किसी भी मुख्यमंत्री को जेल में रहकर सरकार चलाने से रोका जाए। साथ ही इसमें यह भी मांग की गयी है। की अरविंद केजरीवाल को जेल में जरूरी सुविधाएं प्रबंध करने के दिशा-निर्देश दिए जाएं ताकि दिल्ली के CM होने के नाते वह अपना काम करना जारी रख सकें।
इस पीआईएल में आगे केंद्रीय मंत्रालय से मांग की गई है कि Arvind Kejriwal के दिल्ली में राष्ट्रपति शासन और उनके इस्तीफे से संबंधित सनसनी खबरो को मीडिया के द्वारा प्रकाशित करने से रोका जाए अथवा दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा द्वारा केजरीवाल के इस्तीफे के लिए उन पर दबाव बनाने पर भी रोक लगाई जाए।
साथ ही उनके द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन के खिलाफ कार्रवाई करने के दिशा निर्देश दिए जाये। इस याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि केजरीवाल सरकार के नेतृत्व में पिछले सात सालों में कई योजनाएं शुरू की गयी हैं जैसे खाशकर शिक्षा और स्वास्थ्य के सम्बन्ध में जिससे दिल्ली के लोगों की स्थिति में काफी सुधार भी आया है और उन्हें काफी फायदा भी हुआ है।
हम आपको यह भी बता दे की हाल ही में दिल्ली के एक पूर्व केबिनेट मंत्री की और से एक पीआईएल दाखिल की गयी थी जिसको Delhi High Court के द्वारा ख़ारिज कर दिया गया था। इस पीआईएल में Arvind Kejriwal को मुख्यमंत्री के पद से हटाने का निर्देश देने वाली तीन याचिकाओं को Delhi High Court ने ख़ारिज कर दिया था।
जिसमे कहा गया था की एड के द्वारा गिरफ्तार होने के बाद Delhi CM Arvind Kejriwal अपने पद के कार्यो को संभालने में सक्षम नहीं है तो कृपया इन्हे इस पद से हटाया जाए, जिस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने नाराज़गी जताते हुए कहा था की ऐसे मामले में राजयपाल फैसला लेंगे। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस याचिका को ख़ारिज कर दिया था और साथ ही याचिकाकर्ता पर 50,000 रुपऐ का जुरमाना भी लगाया था।
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